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  विधि-विधान से ही करें मंत्र जप व अनुष्ठान    बहुत से लोगों की समस्या है कि मंत्र जप के बाद भी उन्हें मनचाहा फल नहीं मिल पाता है। फिर वे मंत्र को ही बेकार कहने लगते हैं। यह उनकी बड़ी भूल है। विज्ञान भी मानता है कि हर क्रिया के विपरीत समान प्रतिक्रिया होती है। मंत्र जप भी इसी सिद्धांत के अनुसार काम करता है। मंत्र जप करने का असर जरूर होता है। बिना विधि-विधान के जप उसी तरह से सार्थ फल नहीं देता जैसे पानी में कंकर फेंकने से पानी में हलचल तो होती है और कंकर उसके तल में जमा भी होता है लेकिन उसकी साथर्कता नहीं होती। इसी तरह किसी भी तरह से मंत्र जप करने प र उसका असर तो होता है लेकिन करने वाले को फायदा नहीं होता है।  विधि-विधान से ही करें मंत्र जप व अनुष्ठान मनचाहा फायदा लेने के लिए जरूरी  है कि पूरे विधि-विधान से मंत्र का  जप और अनुष्ठान किया जाए।  यदि खुद नहीं कर सकते तो किसी भरोसे के योग्य पंडित से कराएं। हर मंंत्र के जप के भी कुछ नियम हैं। उनका पालन करने से शीघ्र और निश्चित फल मिलता है। मैंने पाया है कि अधिकतर लोग, यहां तक की पंडित भी, मंत्र जप के तरीके को ठीक से न जानने के कारण पर्याप्त स
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  कि‍सानों के  हाथ से नि‍कलता कि‍सान   आंदोलन कवि‍लाश मि‍श्र     राजधानी दिल्ली की सीमा पर पि‍छले 46 दि‍नों से मुख्‍यरूप से पंजाब ,  हरियाणा के किसानों का प्रदर्शन जारी है। कि‍सान और केंद्र सरकार के बीच अब तक हुए आठ दौर की बातचीत का कोई नतीजा नहीं आया है। किसान संगठन तीनों नए कृषि क़ानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं जबकि‍ सरकार कानून में संशोधन करने को तैयार है लेकि‍न कानून वापस करने को नहीं। सरकार का कहना हैं कि‍ इस कानून से बहुतों कि‍सानों को लाभ हो रहा है। नौवें दौर की बातचीत 15 जनवरी को हैं। लेकि‍न ,  वर्तमान समय में ऐसा नहीं लग रहा हैं कि‍ कि‍सान व सरकार के बीच बात बनने वाली है। हालांकि ,  सरकार को उम्मीद है कि किसान संगठनों के नेता  15  जनवरी को अगले दौर की वार्ता में चर्चा के लिए विकल्पों के साथ आएंगे। केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर का कहना है कि कानूनों को रद्द करने का तो सवाल ही नहीं उठता। ऐसे में लगता है कि अगली बातचीत भी शायद ही किसी नतीजे पर पहुंच पाए !  उन्होंने कहा कि बातचीत में आंदोलन में शामि‍ल किसान संगठनों ने नए कृषि कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग का क
कांग्रेस की नई टीम के लिए आसान नहीं यूपी में राह शीला बूटी से कांग्रेस को कौमा से निकलने की तैयारी   ( कविलाश मिश्र)।     उत्‍तरप्रदेश चुनाव में अभी आठ महीने से ज्‍यादा का वक्‍त बचा हैं। सभी प्रमुख पार्टियों ने कमर कस ली हैं। कांग्रेस ने शीला दीक्षित का नाम मुख्‍यमंत्री पद के लिए आगे करके यह संकेत दे दिया हैं कि वह उत्‍तरप्रदेश में किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन के मूड में नहीं हैं। इसका मतलब यह हुआ कि यूपी में चुनावी गणित का पहड़ा बहुकोणीय होगा और इसका लाभ किसे मिलेगा यह कहना फिलहाल जल्‍दीबाजी हैं लेकिन यदि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव को देखे तो इसी प्रकार बहुकोणीय चुनाव में लाभ भारतीय जनता पार्टी को मिला था। लेकिन, यह भी सच हैं कि लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में काफी अंतर होता हैं। पार्टी ने उनके अनुभव और दिल्ली में हुए विकास को इस चयन की वजह बताया।   चर्चा यहां कांग्रेस की हो रही हैं। गणितीय अाधार पर चुनाव जिताने में माहिर प्रशांत कुमार, यूपी प्रभारी गुलाम नबी आजाद, यूपी कांग्रेस अध्‍यक्ष राज बब्‍बर और प्रियंका गांधी के आत्‍ममंथन के बाद मुख्‍यमंत्री पद के लिए उत्‍तर प्रदेश
देश में समान आचार संहिता लागू करने की दिशा में कदम   ( कविलाश मिश्र)।  देश में समान आचार संहिता लागू हो सकता हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। मोदी सरकार के इस कदम से राजनीतिक गलियारों में गर्माहट आना तय मान जा रहा है। इस संबंध में मोदी सरकार ने विधि आयोग से देश में समान आचार संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) लागू करने की स्थिति में उसके निहितार्थों की जांच करने के लिए कहा है।  सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल समान आचार संहिता पर कानून बनाने के लिए केंद्र और संसद को निर्देश देने से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया था। दिल्ली के एक भाजपा नेता ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की थी। भाजपा नेता ने मुस्लिम महिलाओं के साथ कथित भेदभाव का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से दखल देने की मांग की थी। प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने आदेश में कहा कि वह इस बारे में संसद को कोई निर्देश जारी नहीं कर सकता।    देश में समान आचार संहिता की बात आज से नहीं हो रही हैं। केंद्र सरकार भी जानती हैं कि देश हित में एक ऐसा मुद़
केजरीवाल सरकार के कुशासन के नाम जारी किया 33 सूत्रीय खुला-पत्र नई दिल्ली,  1 जुलाई     ( कार्यालय संवाददाता)।   दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री विजेन्द्र गुप्ता ने पंजाब की जनता के नाम 33 सूत्रीय खुला पत्र जारी किया है। इसमें केजरीवाल सरकार के गत 16 महीने के शासनकाल में किये गये प्रमुख घोटालों, उनके विधायकों द्वारा जबरिया हफ्ता वसूली, मंत्रियों के भ्रष्टाचार, संविधान और कानून की अवहेलना, सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय, उप राज्यपाल जैसी संवैधानिक संस्थाओं के आदेशों का पालन न करना, जन लोकपाल बिल न लाना, दिल्ली में लोकायुक्त की नियुक्ति न करना, 21 संसदीय सचिवों की गैर कानूनी नियुक्ति कर उन पर करोड़ों रूपये फंूकना आदि महत्वपूर्ण मुद्दे शामिल हैं। यह पत्र हिन्दी और पंजाबी भाषा में जारी किया गया है। इस खुले पत्र को पंजाब के सभी घरों तक पहंुचाया जाएगा ताकि पंजाब की जनता आम आदमी पार्टी के सच को जान सके और इनके लुभावने वायदों में न फंसे। श्री गुप्ता ने बताया कि पंजाब प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी के सभी सदस्यों तक यह पत्र पहंुचाया गया है ताकि वे सम्पूर्ण पंजाब के हर घर को केजरीवाल सरक

काश मैं कुत्ता होता...

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कविलाश मिश्रा हाल ही में महानगर में एक सरकारी महकमे की तरफ़ से एक कुता प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। कुत्तों के बारें में मैं ख़ुद को अगर विशेषज्ञ नही मानता था तो उससे से कम भी नही समझता था। गाँव से लेकर शहर तक मेरा पाला कई बार कुत्तों से पड़ चुका था। लेकिन डौग शो में जाकर मैंने पाया की कुत्तों के बारें में मेरी जानकारी किसी नौसिखिये जैसी थी। आयोजन में जाकर मैंने जो देखा उसकी चर्चा तो मैं बाद में करूंगा लेकिन वहाँ पहुंचकर मुझे अपने साथ गुजरा एक वाकया याद आ गया जो मैं यहाँ भी बांटना चाहूंगा कई साल पहले मेरे एक मित्र मेरा कुत्ता प्रेम देखकर मुझे कुत्ता खरीदवाने ले गया। एक डोबर्मन मुझे पसंद आया लेकिन मैंने उसे इसलिए नही ख़रीदा क्यूंकि उसकी कीमत पाँच हज़ार रूपैये थी। लेकिन मैं पसंद आने पर भी एक अन्य पामेरियन भी इसलिए ही नही खरीद पाया क्यूंकि उसकी कीमत भी चार हज़ार रूपैये थी। मन मारकर मैं लौट आया। मेरे दोस्त ने मुझ पर लानत मारी। शौक कुत्ते के और खर्च से डर, भला कैसे संभव है? वक्त बीता। बच्चे बड़े हुए तो घर में कुत्तों की जगह टेडी की शक्ल में कुत्ते और रीछ आने लगे। एक दिन मेरी बिटिया ने